रांची/धनबाद/जमशेदपुर. लंबे विचार-विमर्श के बाद जारी भाजपा प्रत्याशियों की सूची ने पार्टी में खलबली मचा दी है। 10 सीटिंग विधायकों के टिकट काट दिए गए हैं। इनमें से कुछ ने विद्रोही तेवर अपनाते हुए भविष्य की राह तलाशनी शुरू कर दी है। वहीं कुछ ने पार्टी-संगठन के फैसले को नम्रता से स्वीकार कर लिया है। जबकि कुछ को समझ ही नहीं आ रहा है कि आखिर उन्हें टिकट से महरूम क्यों कर दिया गया। नाराज दावेदारों में कुछ ने तो निर्दलीय या फिर दूसरी पार्टी में शामिल होकर चुनाव लड़ने की घोषणा तक कर दी है।
फूलचंद ने कहा- वह चुनाव लड़ेंगे
लोकसभा चुनाव के समय से ही बागी तेवर अपनाए भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी ने रविवार को बोरिया विधानसभा क्षेत्र में अपने सर्मथकों के साथ बैठक की और चुनाव लड़ने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया। वहीं सिंदरी से
विधायक फूलचंद मंडल ने कहा है कि जनता ने उन्हें नहीं नकारा है, इसलिए वह चुनाव लड़ेंगे। गणेश गंझू, राधाकृष्ण किशोर, जय प्रकाश सिंह भोक्ता ने अब तक स्पष्ट नहीं किया है कि पार्टी के इस निर्णय के बाद उनका अगला स्टेप क्या
होगा। भाजपा के अंदरखाने में पार्टी नेतृत्व के फैसले पर तरह-तरह की चर्चाएं भी हो रही हैं। हालांकि, कई ऐसे दावेदार हैं, जिन्हें दूसरी सूची में जगह मिलने की उम्मीद है।
जानिए... भाजपा के सीटिंग विधायकों का टिकट क्यों कटा और उनकी प्रतिक्रिया
फूलचंद मंडल
वजह क्या : 70 साल से भी अधिक उम्र, सक्रियता में कमी।
आगे क्या : पार्टी ने नकारा है, लेकिन जनता ने नहीं। इसलिए वह सिंदरी से चुनाव जरूर लड़ेंगे।
ताला मरांडी
वजह क्या : लोकसभा चुनाव से ही पार्टी से दूरी। इन दिनों झामुमो से नजदीकी बढ़ी हुई थी।
आगे क्या : कार्यकर्ताओं संग कर रहे विमर्श, जल्द फैसला लेंगे।
विमला प्रधान
वजह क्या : अभी अस्पष्ट है।
आगे क्या : निर्णय स्वीकार। ऐसा क्यों किया, समझ में नहीं आ रहा।
लक्ष्मण टुडू
वजह क्या : पार्टी के सर्वे में प्रदर्शन अच्छा नहीं बताया गया।
आगे क्या : जिन्हें टिकट मिला है, उन्हें जिताने में लगेंगे।
गणेश गंझू
वजह क्या : कई मुकदमे दर्ज। उग्रवादियों से साठगांठ के आरोप।
आगे क्या : सीएम टिकट कन्फर्म कर रहे थे। फिर क्या हुआ, पता नहीं।
हरेकृष्ण सिंह
वजह क्या : भाजपा के आंतरिक सर्वे में परफॉरमेंस खराब मिला।
आगे क्या : पार्टी के निर्देश पर आगे भी काम करते रहेंगे।
संजीव सिंह
वजह क्या : हत्या के मामले में अभी कारावास में बंद हैं।
आगे क्या : पत्नी रागिनी सिंह को टिकट देकर भरपाई की।
राधाकृष्ण किशोर
वजह क्या : क्षेत्र में लोकप्रियता घट गई है। विरोध भी हो रहा था।
आगे क्या : अभी विचार कर रहे।
जयप्रकाश सिंह भोक्ता
वजह क्या : राजद छोड़कर भाजपा में विश्वास जताने वाले जनार्दन पासवान को वरीयता मामले में आगे। छवि भी ठीक
आगे क्या : अभी विचार कर रहे।
शिवशंकर उरांव
वजह क्या : पिछली बार कम वोट से जीते। लोकसभा चुनाव में भी अपेक्षित वोट नहीं दिला सके।
आगे क्या : निर्णय स्वीकार, पार्टी के निर्देश पर काम करते रहेंगे।
आखिरी रास्ता...बाघमारा में ढुल्लू का विकल्प नहीं, इसलिए मिला टिकट
ढुल्लू महताे पर भाजपा के अाला नेता एकमत नहीं थे, लेकिन बाघमारा में पार्टी के पास दूसरा विकल्प भी नहीं था। पार्टी प्रत्याशी बदलकर रिस्क भी नहीं लेना चाहती थी। इसलिए ढुल्लू को प्रत्याशी बनाया गया।
इनकी भी सुनिए...टिकट न मिलने से गिरिनाथ हतप्रभ, सीमा पचा नहीं पा रहीं
लोकसभा चुनाव के दौरान राजद छोड़ भाजपा में आए गिरिनाथ सिंह को गढ़वा से टिकट नहीं मिला। वहीं हटिया से दावेदार सीमा शर्मा भी वंचित रह गईं। इस बारे में गिरिनाथ ने सिर्फ इतना कहा कि वो हतप्रभ हैं। इधर, सीमा ने बताया कि उन्हें इसकी जीरो परसेंट भी उम्मीद नहीं थी। इधर, सूत्रों का कहना है कि सीमा शर्मा झाविमो के संपर्क में हैं।
अंदरखाने की बात
रघुवर दास ने जिसे चाहा, उसके हिस्से में आया टिकट
भाजपा के अंदरखाने में चर्चा है कि प्रत्याशियों के चयन में रघुवर दास की चली। उन्होंने जिसे चाहा, टिकट मिला। यही कारण है कि दूसरे दल से आए सात नेताओं को पहली सूची में जगह दी गई है। झाविमो से भाजपा में आए विधायकों में ज्यादातर को टिकट मिला है। पहली सूची से मंत्री सरयू राय भी गायब हैं। हालांकि, जमशेदपुर पश्चिमी क्षेत्र से अभी प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं हुई है।
लोस चुनाव में ही फूलचंद की नकारात्मक छवि बन गई थी
70 की उम्र पार कर चुके सिंदरी विधायक फूलचंद मंडल कई मायनों में पिछड गए। लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी प्रत्याशी पीएन सिंह को सिंदरी में कई जगह विरोध का सामना करना पड़ा। पार्टी ने इसे नकारात्मक माना था। फूलचंद को टिकट मिलने पर पहले से ही संशय था, इसलिए उन्होंने अपने पुत्र धरनीधर मंडल का नाम आगे बढ़ाया था, लेकिन पार्टी ने इस पर विचार नहीं किया। इस बारे में धरनीधर ने कहा कि क्षेत्र की जनता से राय लेने के बाद ही अगला कदम उठाएंगे।