भास्कर के लिए लंदन से अन्ना सोफिया सोलिस. बेयर ग्रिल्स की पहचान बीते दो दशकों से दुनिया के सबसे साहसिक व्यक्ति के रूप में स्थापित हो रही है। उनका टीवी प्रोग्राम मैन वर्सेज वाइल्ड विषम परिस्थितियों का सामना करना सिखा रहा है। बेयर ग्रिल्स ने 18 की उम्र में ही स्काइ डाइविंग और पहाड़ों पर चढ़ने की कला सीख ली थी। वे एवरेस्ट पर चढ़ने वाले सबसे युवा ब्रिटिश नागरिक है। उन्होंने ब्रिटेन की स्पेशल फोर्स में भी काम किया है। 2003 में उन्होंने एक छोटी सी बोट पर सवार होकर अटलांटिक आर्टिक ओशन पार किया था। उन्होंने दैनिक भास्कर से अपने जीवन, परिवार, उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं पर बात की।
आपको भारत के बारे में सबसे ज्यादा क्या पसंद है?
भारत के जंगल ही नहीं बल्कि मुझे यहां के लोगों का दोस्ताना व्यवहार भी बहुत पसंद है। यहां की संस्कृति में एक तरह की गर्मजोशी है, जिसे शब्दों में बताना मुश्किल है। बीते साल ही मैंने आपके प्रधानमंत्री के साथ समय बिताया था। मुझे फिर याद आया कि भारत कितना विविधापूर्ण, आसाधारण और संभावनाओं से भरा देश है। धरती पर भारत का इकोसिस्टम सबसे प्रचुर और विविधाता लिए हुए है। इसी के साथ इसकी रक्षा की जिम्मेदारी बढ़ जाती है।
भारतीय युवाओं को आप क्या कहना चाहेंगे? कैसे जीवन में सकारात्मकता लाई जा सकती है?
मेरा संदेश बहुत सरल है। अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश कीजिए। सपने भगवान की देन होते हैं। हिम्मत का साथ कभी मत छोड़िए और नेक दिल बने रहिए। अपने पर्यावरण का ध्यान रखिए। ये बहुत महत्वपूर्ण है। जीवन एक शानदार उपहार है। हमें इसका सम्मान करना चाहिए। साथ ही हमारे आसपास मौजूद सभी अवसरों का इस्तेमाल करना चाहिए। यहां पर मैं यहा भी कहना चाहूंगा कि युवाओं के लिए स्काउटिंग बहुत ही गजब का तरीका हो सकता है। यहां दोस्त मिलते हैं जीवन भर के लिए और सीख भी जीवन बनाने वाली भी मिलती हैं। पर इन सबके ऊपर मेरा संदेश यह भी है कि कभी हार मत मानो।
आपको क्यों लगता है कि स्काउटिंग जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है?
स्काउटिंग आज जितना अहम है उतनी इतिहास में पहले कभी नहीं रही। 220 से अधिक देशों और क्षेत्रों में स्काउट्स सामाजिक आर्थिक और पर्यावरण की चुनौतियों के लिए काम कर रहे हैं। जैसे स्काउट्स प्रोग्राम कम्यूनिटी सर्विस शांति को बढ़ावा दे रहे हैं, प्लास्टिक के प्रदूषण से निपटने जैसे अहम काम कर रहे है। साथ ही वह टिकाऊ विकास में भी साथ दे रहा है। आज दुनियाभर में करीब 5.4 करोड़ लोग स्काउट के शिक्षण कार्यक्रम और स्किल्ड डेवलपमेंट एक्टीविटीज से लाभ पा रहे हैं।
आप इस बदलाव में किस तरह भागीदार हैं?
विश्व स्काउटिंग का चीफ एम्बेसडर होने के नाते मैंने देखा है कि किस तरह स्काउटिंग के जरिए युवा समाज में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। जीवन में मेरा अब यह लक्ष्य है कि मैं युवाओं को न सिर्फ एडवेंचर के लिए स्किल सिखाऊं बल्कि जीवन के लिए भी उन्हें स्किल दूं। स्काउटिंग लोगों को घर से बाहर निकलकर काम करने के लिए प्रेरित करती है। दुनिया के 216 देशों में स्काउटिंग असोसिएशन सक्रिय है, जिसमें भारत स्काउट्स एंड गाइड्स (बीएसजी) भी शामिल है।
बेयर ग्रिल्स सरवाइवल एकेडमी किस तरह लोगों को भविष्य बनाने में मदद करती है?
मेरा मानना है कि हर व्यक्ति अपनी क्षमताओं को परखना चाहता है और व्यवहारिक क्षमताएं विकसित करना चाहता है। प्रकृति और जंगलों में लोगों को साथ लाने और उन्हें सशक्त बनाने की क्षमता है। हमारी एकेडमी लोगों में आत्म विश्वास पैदा करने में मदद करती है। साथ ही यह सिखाती है कि कभी वे अगर अकेले फंस जाएं तो वो कैसे खुद को बचाएं। सरवाइवल सिर्फ नॉलेज ही नहीं स्किल भी है। इसके साथ सकारात्मकता, साहस, समर्पण और साधन बनाने के गुण जुड़े हुए हैं। दुनिया के कुछ सबसे चुनौतीपूर्ण स्थानों पर सरवाइव करने की कला हमारी एकेडमी सिखाती है।
आपकी किताब हाउ टू स्टे अलाइव बेस्टसेलर की फेहरिस्त में है। क्या बड़ी उम्र के लोग भी उससे सरवाइवल स्किल सीख सकते है?
बिल्कुल। बुजुर्ग लोग उम्र के एक पड़ाव पर पहुंचने पर भी जीने की इच्छा नहीं छोड़ते। वे यात्राएं करते हैं, नए व्यापार शुरू करते हैं। जीवन को नए सिरे से जीना शुरू करते हैं। यह सब देखना प्रेरणादायी है। नए ज्ञान के प्रति जिज्ञाषा कभी मरती नहीं है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप किस पीढ़ी से हैं।
ईश्वर पर भरोसा किस तरह जीवन में आपकी मदद करता है?
मेरा मानना है कि मुश्किल वक्त में ईश्वर मदद करते हैं। किसी पहाड़ पर अंधेरे अकेले रास्ते पर मुझे उनकी याद आती है। मैं स्वीकार करता हूं कि ईश्वर मेरे जीवन की गाइडिंग फोर्स हैं।
आपका सबसे बड़ा सपना क्या है?
स्काउटिंग कम्यूनिटी का विस्तार दुनिया के आखिरी कोने तक हो और अधिक से अधिक लोगों तक इसका सकारात्मक असर हो। स्काउट लोगों को अपने सपनों का पीछा करने का मौका देता है। साथ ही असली जोखिम और चुनौतियों का सामना करने का भी यह जरिया है। लोगों को प्रोत्साहन, अवसर और जीवन मूल्य देना ही स्काउटिंग है। असल में यही बात मेरे लिए एक ड्राइविंग फोर्स है।
बेयर ग्रिल्स ने अपने बारे में आगे बताया:
‘एवरेस्ट फतह की तैयारी के दौरान पत्नी शारा से मुलाकात हुई’
बेयर ने कहा- वर्ष 1996 में स्काई-डाइविंग करते समय जब मेरा पैराशूट नहीं खुला तो मैं सीधा जमीन पर आ गिरा और मेरी पीठ में तीन फ्रैक्चर हुए। अगला डेढ़ साल हॉस्पिटल में बिताया। तब मुझे अहसास हुआ कि जीवन बेहद कीमती है। इसी नए जीवन ने मुझे प्रेरित किया कि मैं अपने बचपन का सबसे बड़ा सपना एवरेस्ट फतह करूं। इसी की तैयारी के लिए मैं स्कॉटलैंड गया, यहीं पर मेरी मुलाकात शारा से हुई। सिर्फ एक हफ्ते का वक्त बाकी था और मैं रोज 10 से 12 घंटे ट्रेनिंग कर रहा था। ये छोटी सी मुलाकात थी, लेकिन तीन महीने बाद जब एवरेस्ट से लौटा तो सबसे पहले शारा को प्रपोज किया। हमारी शादी में ही एक बुजुर्ग दंपती से, जिनकी शादी को 50 साल हो गए थे, मैंने पूछा था कि हैप्पी मैरिड लाइफ क्या है, तब उन्होंने कहा था ‘नेवर स्टॉप होल्डिंग हैंड्स’ (कभी एक-दूसरे का हाथ थामना मत छोड़ना)। हमने इस सलाह को गंभीरता से लिया और हमेशा इसे आज़माया। आज अगर मैं अपने तीनों बच्चों और परिवार के साथ खुश हूं तो उसमें इस एक सलाह का बहुत बड़ा हाथ है।
‘परिवार के लिए वक्त हमेशा अलग रखना चाहिए, क्योंकि परिवार का मतलब ही साथ है’
उन्होंने कहा- जो मैं करता हूं उससे मेरे परिवार को प्यार है। जब मैं घर लौटता हूं तो मुझे चाहिए होता है बच्चों का खूब सारा प्यार। ये बहुत मुश्किल है। काम के सिलसिले में मुझे बहुत लंबा वक्त बाहर गुजारना पड़ता है। खासतौर पर एक पिता के रूप में जब मैं घर पर होता हूं तो उस कमी को पूरा करता हूं। एक बात बिल्कुल साफ है कि परिवार सबसे पहले है। संतुलन बनाकर रखना सबसे महत्वपूर्ण है। हम सभी को काम के लिए बाहर तो जाना ही पड़ता है लेकिन बहुत ज्यादा समय घर से बाहर बिताने से सभी को नुकसान होता है। अगर आप हफ्ते में एक बार अपने परिवार के साथ बाहर घूमने जा पा रहे हैं, तो यह बहुत अच्छा है। जरूरी नहीं कि यह काफी महंगा या शानदार हो। अगर आप बारिश में साथ टहल रहे हैं या साथ डिनर कर रहे हैं, चाहे सिनेमा और पिकनिक ही क्यों ना हो, ये भी बहुत है। परिवार के लिए वक्त हमेशा अलग रखना चाहिए क्योंकि परिवार का मतलब ही साथ है। जब बच्चों के स्कूल का वक्त होता है तब मैं अपने काम करता हूं जब छुट्टियों का वक्त आता है तो पूरा वक्त उन्हें और घर को देता हूं।
‘अपने सपनों का पीछा करो और इस यात्रा में परिवार और दोस्तों को हमेशा साथ रखो’
बेयर ने आगे कहा- मेरे पिता और दोस्तों ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है। बचपन से ही मुझे पहाड़ों पर चढ़ना सिखाया गया। परिवार ने ही सिखाया कि बड़े सपने देखना अच्छी बात है। सफल होने के लिए शुरुआती असफलता के लिए भी तैयार रहना चाहिए। मेरे पिता कहा करते थे कि अपने सपनों का पीछा करो लेकिन इस यात्रा में अपने परिवार और दोस्तों को भी हमेशा साथ रखो। बाकी सब चीजें छोटी हैं। वो सही कहते थे। सबसे बड़ी बात ये है कि सभी तूफानों, सभी संघर्षों, सभी असफलताओं के बीच आपको हमेशा चलते रहना होता है। इसलिए मैं अक्सर अपने बच्चों को कहता हूं कि कभी हार मत मानो। हार तभी हार है जब आप हार मान लेंगे।’
‘पिता के साथ समय बिताना अच्छा लगता था, इसलिए क्लाइम्बिंग शुरू की’
उन्होंने बताया- मैंने क्लाइम्बिंग इसलिए शुरू की थी क्योंकि मुझे पिता के साथ वक्त गुजारना अच्छा लगता था। धीरे-धीरे मेरा ये विश्वास बन गया कि जंगल लोगों को पास लाता है। अपने बच्चों के साथ वक्त गुजारने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप उनके साथ घूमने जाएं, एडवेंचर करें, भले ही वह कैंप में रात बिताना ही क्यों न हो। इससे हम अपने बच्चों के नजदीक आ जाते हैं। ये नजदीकियां आजकल टीवी और कम्प्यूटर गेम्स की वजह से कम होती जा रही है। हम अक्सर वेल्स में अपने छोटे से आइलैंड पर चले जाते हैं जहां न लाइट है और न ही पीने का समुचित पानी, लेकिन फिर भी हमें ये पसंद है क्योंकि वहां हमें एक-दूसरे का साथ मिलता है। घर से बाहर की दुनिया बच्चों को आत्मविश्वास और आत्मसम्मान सिखाती है। ये पैसों से नहीं खरीदा जा सकता। मैदान में दौड़ना, खेलने-कूदने से अच्छी नींद आती है, एकाग्रता बढ़ती है और परिवार का आपस में जुड़ाव भी बढ़ता है।